
OVERVIEW
पिलिया (JAUNDICE) जिसे आम भाषा में पीलिया कहा जाता हैं, एक ऐसी अवस्था है जो शरीर में बिलीरुबिन नामक पदार्थ की असामान्य वृद्धि के कारण उत्पन्न होती हैं। यह लिवर, खून या पित्ताशय के कार्यों में गड़बड़ी का संकेत हों सकता हैं। जॉन्डिस का सबसे साफ लक्षण त्वचा और आँखों का पीला पड़ना हैं, लेकिन इसके प्रभाव शरीर के अन्य हिस्सों में भी देखे जा सीखते हैं। यह न केवल एक स्वास्थ्य समस्या हैं, बल्कि यह शरीर के आंतरिक अंगों के समुचित कार्यो को प्रभावित करने वाला सकेत भी हैं। इसके कारण और प्रभाव को समझना इस बीमारी के प्रभावी इलाज और रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण हैं।
नवजात शिशुओं में पीलिया एक सामान्य स्थिति है जो अक्सर जन्म के पहले हफ्ते में दिखाई देती है। इसमें शिशु की त्वचा और आंखों पर सफेद भाग पीला हो जाता है यहां आमतौर पर इसीलिए होता है क्योंकि शिशु के शरीर में बिलीरुबिन नामक पदार्थ का स्तर बढ़ जाता है हालांकि यह अधिकांश मामलों में सामान्य होता है और अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन कभी-कभी यह गंभीर रूप ले सकता है और इलाज की आवश्यकता पड़ती है।
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पीलिया कैसे होता हैं ?
पीलिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें खून में बिलीरुबिन नामक पदार्थ का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है, बिलीरुबिन पिले रंग का पिगमेंट होता है जो लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने पर बनता है सामान्य तौर पर बिलिरुबिन लीवर से पित्त के जरिए शरीर से बाहर निकलता है लेकिन जब लीवर ठीक से काम नहीं करता है या बिलीरुबिन का निर्माण अधिक होने लगता है तो यह शरीर में जमा होने लगता है उसका परिणाम त्वचा ,आंखों के सफेद हिस्से और पेशाब के रंग में पीलेपन के रूप दिखाई देता है नवजात शिशुओं में यह इसीलिए अधिक होता है क्योंकि उनका लीवर पुरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता है।
नवजात शिशु में पीलिया कैसे होता हैं ?

नवजात शिशु में पीलिया एक सामान्य स्थिति है जो जन्म के पहले सप्ताह में दिखाई देती है या तब होता है जब शिशु के खून में बिलीरुबिन नामक पिगमेंट का स्तर बढ़ जाता है जन्म के बाद शिशु का लीवर पुरी तरह से विकसित नहीं होता है जो बिलिरुबिन को प्रभावित रूप से शरीर से बाहर नहीं निकाल पाता, इस कारण से शिशु की त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला दिखने लगता है।अधिकांश मामलों में यह हल्का होता है और खुद ही ठीक हो जाता है लेकिन अगर बिलीरुबिन का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाए तो यह मस्तिष्क पर असर डाल सकता है जिस कारण बच्चो में करनिक्टरस (kernicterus) की समस्या देखी जाती है और इलाज की जरूरत पड़ सकती है। नवजात पीलिया के प्रमुख कारणों में शिशु का समय से पहले जन्म और शिशु के खून के ग्रुप में असामान्यता या जन्म के दौरान चोट के कारण लाल रक्त कोशिकाओं का अधिक टूटना शामिल है।
वयस्कों में पीलिया कैसे होता है ?

वयस्कों में पीलिया तब होता हैं जब खून में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे त्वचा, आँखों की सफेद पुतलियां और अन्य शरीरिक अंगों में पीला रंग दिखाई देने लगता हैं। पीलिया के कई कारण हों सकते हैं, जैसे हेपेटाइटिस ( वायरल या शराब से संबंधित), लिवर सिरोसिस यह फैटी लीवर रोग इसके अलावा पित्त नली मे अवरोध जैसे पथरी या ट्यूमर भी पीलिया का कारण बन सकते हैं इसके अलावा यदि शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के अत्यधिक टूटना हो, तो भी पीलिया हो सकता है।कुछ दवाइयां या विषैली पदार्थ भी लीवर पर असर डाल सकते हैं और पीलिया का कारण बन सकते हैं पुलिया के साथ अन्य लक्षण जैसे थकान, पेट में दर्द, गहरे रंग का मूत्र, हल्के रंग के दस्त और खुजली भी हो सकते हैं। यदि यह लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ताकि इसका सही इलाज किया जा सके।
पीलिया के प्रमुख लक्षण
- त्वचा और आंखों का पीला पड़ना
- मूत्र का गहरा पीला या नारंगी रंग
- मल का रंग हल्का होना
- थकान और कमजोरी
- भूख ना लगना
- पेट दर्द
- मतली या उल्टी
- त्वचा में खुजली
- वजन कम होना

पीलिया के कारण
पीलिया के कई कारण हो सकते हैं जो मुख्य रूप से लीवर, पित्त नलिका और रक्त कोशिकाओं से जुड़े होते हैं।
1) लिवर संबंधित कारण :
- हेपेटाइटिस (Hepatitis) : यह एक वायरस संक्रमण है जो लीवर को प्रभावित करता है जैसे हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी
- लिवर सिरोसिस (liver cirrhosis) : यह लीवर में सूजन के कारण हो सकते हैं जो समय के साथ लीवर के काम करने की क्षमता को प्रभावित करता है।
- फैटी लीवर डिजीज (Fatty liver disease) : यह लीवर में वास ( Fat) जमा होने के कारण होता है जिससे लीवर का कार्य प्रभावित होता है।
- लीवर कैंसर (Fatty cancer) : लीवर में ट्यूमर का विकास भी पीलिया का कारण बन सकता है।

2) पित्त नलिका में आवरोध:
- पित्त पथरी (Gall bladder stones) : पित्त नालिका में पथरी आ जाने से पित्त का प्रभाव रुक जाता है जिससे पीलिया हो सकता है।
- पित्त नालिका में ट्यूमर: पित्त नालिका में किसी प्रकार का ट्यूमर अवरोध पैदा कर सकता है और पीलिया का कारण बन सकता है।
3) रक्त में अधिक लाल रक्त कोशिकाओं का टूटना (हिमोलाइसिस):
- (Hemolytic anemia) हिमॉलिटिक एनीमिया : जब लाल रक्त कोशिकाएं जल्दी टूटती है तो अधिक बिलीरुबिन बनता है जो पीलिया का कारण बन सकता हैं।
- (Sickle cell anemia) सिकल सेल एनीमिया: यह एक विरासत (hereditary) में मिलने वाली बीमारी है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं (red blood cells) असामान्य रूप से टूटती हैं।
- दवाइयां और विषैला पदार्थ: कुछ दवाइयां जैसे पेरासिटामोल की अधिक खुराक और विषैला पदार्थ लीवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं और पीलिया का कारण बन सकते हैं।
- (Neonatal Jaundice) नवजातों में पीलिया: नवजात शिशु में अस्थाई पीलिया हो सकता है जो आमतौर पर जन्म के कुछ दिनों बाद दिखाई देता है और बिना इलाज के ठीक हो जाता है ।
पीलिया के प्रकार
- हिमॉलिटिक जांडिस: यह तब होता है जब लाल रक्त कोशिकाएं सामान्य से अधिक मात्रा में टूटती है जिससे बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाता है
- हैपेटिक जांडिस: यह तब होता है जो लीवर ठीक से कार्य नहीं करता है और बिलीरुबिन को ठीक से संसाधित नहीं कर पाता है यह हेपेटाइटिस सिरोसिस या लीवर संक्रमण के कारण हो सकता है।
- ऑब्स्ट्रक्टिव जांडिस: यह तब होता है जब पित नली में अवरोध (जैसे पथरी ट्यूमर) होता है जिससे बिलिरुबीन बाहर नहीं निकाल पाता है।
- नवजात पीलिया:यहां नवजात शिशु में होता है और आमतौर पर जन्म की कुछ दिनों बाद दिखाई देता है एवं स्थाई होता है और अधिकांश मामलों में बिना इलाज के ठीक हो जाता है।
- फिजियोलॉजिकल जांडिस: यह सामान्य पुलिया है जो नवजात शिशु में देखा जाता है और कुछ दिनों बाद ठीक हो जाता है।
पीलिया के लिए टेस्ट
- बिलीरुबिन टेस्ट
- कम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट (CBC)
- हेपेटाइटिस A,B,C की जांच
- MRI स्कैन
- अल्ट्रासाउंड
- CT स्कैन
- रेट्रोग्रेड कॉलेंजियो पेनक्रिएटियोग्राफी
- लिवर बायोप्सी (liver biopsy)
पीलिया का उपचार
जॉन्डिस का मेडिकल ट्रीटमेंट
1.मूल कारण का पता लगाना – डॉक्टर से खून की जांच लीवर फंक्शन टेस्ट और अल्ट्रासाउंड कराकर जॉन्डिस का कारण पहचानते हैं ।
2.आहार और आराम – हल्का और पौष्टिक खाना ले।जैसे -दलिया, सूप और नारियल पानी। फैटी और तली हुई चीजों से बच्चे और भरपूर आराम करे।
3.दवाइयां का उपयोग– अगर संक्रमण जैसे (हेपेटाइटिस) है, तो एंटीवायरल या एंटीबायोटिक दवाइयां दी जा सकती है। पित्त की नली में रुकावट होने पर सर्जरी या endoscopy की जाती है ।
4.हाइड्रेशन– शरीर में पानी की कमी ना होने दे।इसमें डाक्टर ग्लूकोस ड्रिप भी दे सकते हैं ।
5.गंभीर मामलों का इलाज– लीवर डैमेज होने पर अस्पताल में भर्ती विशेषज्ञ से उपचार आवश्यक हो सकता है लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत बहुत गंभीर स्थिति में पढ़ सकती है ।
नवजात पीलिया का प्रबंधन
- फोटोथेरेपी (Phototherapy): बच्चे को विशेष नीली रोशनी में रखा जाता है।
- मां का दूध: नवजात को बार-बार स्तनपान कराए।

संक्रमण जनित पिलिया :
- डॉक्टर के सलाह पर एंटीवायरस या एंटीबायोटिक दवाई दी जाती है।
- संतुलित आहार और आराम जरूरी है
- पित्त नली के अवरोध के उपचार मे सर्जरी या अन्य चिकित्सकीय प्रक्रियाओं की आवश्यक हो सकती है।
घरेलू देखभाल:
- बच्चे को हल्का और पोष्टीक भोजन दे।
- पर्याप्त पानी पिलाए।
- बच्चे को सूरज की हल्की धूप में कुछ मिनट रखे।
- नवजात को समय पर स्तनपान कराए।
- बच्चों को साफ सफाई का ध्यान रखने को कहें।
- टीकाकरण कराए खासतौर पर हेपेटाइटिस बी और ए का और दूषित पानी और भोजन से बचें।
पीलिया से बचने के उपाय
- डायट में दूध शामिल करें और नियमित दूध पिए।
- कम से कम 8 गिलास पानी पिए हाई फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें।
- सुरक्षित और स्वस्थ भोजन वह साफ पानी का सेवन करें।
- अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहने के लिए तरल पदार्थो का सेवन करें।
- संक्रमण के दौरान वसायुक्त और तेल से बने खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।
- अधिक शराब ना पिए।
- हेपेटाइटिस के तीके लगवाएं नशीली दावों का उपयोग न करें ।
- कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थो के साथ पाचन को बेहतर बनाने वाले फलों को डाइट में शामिल करें।
- असुरक्षित यौन संबंध से बचें।
पीलिया में क्या खाना चाहिए ?
पीलिया होने पर आपको अपने खान-पान का खास ध्यान रखना चाहिए। आइये जानते हैं पीलिया में आपका खान-पान कैसा होना चाहिए।
- फलों का जूस पीएं।
- ज्यादा से ज्यादा पानी पिए।
- ताजा और शुद्ध भोजन करें थोड़ा-थोड़ा खान दिन में 4-6 बार खाएं खाना खाने से पहले अच्छी तरह हाथों को धोए।
इन सब के अलावा आप अपनी डाइट में निम्नलिखित चीजों को शामिल कर सकते हैं।
- दही
- मूली
- प्याज़
- पपीता
- तुलसी
- टमाटर
- मठृठा
- छाछ
- नारियल पानी
- धनिआ का बीज
- गिलोय और शहद

पीलिया के लिए घरेलू उपाय
पीलिया एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है, जो मुख्य रूप से लीवर की खराब कार्य क्षमता के कारण होती है इसके लक्षणों में आंखों और त्वचा का पीला होना, भूख ना लगना, थकान और पेशाब का गहरा रंग शामिल है। नीचे कुछ घरेलू उपाय दिए गए हैं जो पीलिया में सहायक हो सकते हैं :
1) गन्ने का रस (Sugarcane juice) : गन्ने का रस लीवर को स्वस्थ बनाए रखना में मदद करता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। रोजाना ताजा गन्ने का रस पीने से पीलिया में राहत मिलती है। इसे पीते समय स्वच्छता का ध्यान रखें ।

2.नींबू पानी (lemon water): नींबू लीवर की सूजन को कम करता है और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलने में मदद करता है। एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़़कर दिन में दो या तीन बार पिए ।

3.हल्दी दूध (Turmeric milk): हल्दी में एंटीसेप्टिक और डिटॉक्सीफाइगं गुण होतै है। एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर रात में पिए।
4.टमाटर का रस (Tomato juice): टमाटर में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो लिवर को स्वस्थ रखते हैं। एक टमाटर को पानी में उबालकर उसका रस ले और उसमें चुटकी भर नमक मिलाकर सुबह खाली पेट पिएं।
5.छाछ (Buttermilk): छाछ पाचन तंत्र को मजबूत करती है और लीवर को राहत प्रदान करती है। इसमें पिसा हुआ जीरा और काला नामक मिलाकर दिन में दो बार पीए।

6.पपीता (Papaya): पपीते के बीज लीवर की समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं। पपीते के पत्तों का रस निकालकर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें।

7.आवलां (Indian gooseberry): आवलां विटामिन सी का अच्छा स्रोत है और लीवर की सफाई करता है। ताजा आवले रस निकालकर दिन में दो बार पिए।
8.गिलोय (Tinospra cordifolia): गिलोय में लीवर को स्वस्थ रखना वाले गुण होते हैं गिलोय का काढा़ बनाकर सुबह शाम पिएं।

9.धनिया का पानी: धनिया पाचन सुधरता है और शरीर को ठंडक देता है एक गिलास पानी में धनिया के बीज भिगोकर सुबह खाली पेट इसका पानी पिए।
10.भरपूर पानी पीना: शरीर से विषैला पदार्थ को बाहर निकालने के लिए दिन भर में 8 या 10 गिलास पानी पिए ।
सावधानियां
- तले भुने मसालेदार और जंक फ़ूड से बचे।
- अधिक तेल और वसा वाले भोजन का सेवन ना करे।
- शराब और धूम्रपान से पुरी तरह परहेज करे।
- यह घरेलु उपाय पीलिया मे मदद कर सकते है लेकिन यदि लक्षण गंभीर हो ,तो डॉक्टर से परामर्श ले।
पीलिया एक गंभीर लेकिन बचाव योग्य बीमारी हैं। समय पर पहचान, उचित उपचार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसे रोका और ठीक किया जा सकता है।